केंद्र सरकार द्वारा NPS का पैसा राज्य सरकारों को लौटाने से साफ़ इनकार

राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू होने के बाद भी, राज्य सरकार को कर्मचारियों के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) कोष से पैसा नहीं मिलेगा।

केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यों को NPS का पैसा वापस करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। वर्तमान में, पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के पास राजस्थान के कर्मचारियों के लिए NPS में 50,884 करोड़ रुपये हैं, जो देश में OPS लागू करने वाले पाँच राज्यों में सबसे अधिक है। अन्य चार राज्य छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब हैं। सीकर से माकपा सांसद अमराराम के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को सूचित किया कि पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) अधिनियम, 2013 के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही पीएफआरडीए (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत निकासी और निकासी) विनियम, 2015 और अन्य प्रासंगिक विनियम, जिनके तहत एनपीएस में अंशदाताओं की संचित राशि वापस की जा सकती है और राज्य सरकार को वापस जमा की जा सकती है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि ने NPS राशि स्वयं कर्मचारी को उसकी सेवानिवृति के समय ही मिलेगी |

मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली का कोई प्रस्ताव भारत सरकार के विचाराधीन नहीं है। सरकारी खजाने पर इसके राजकोषीय दायित्व के कारण सरकार ओपीएस से दूर हो गई। देश भर में, पाँच राज्यों ने एनपीएस के स्थान पर ओपीएस को बहाल कर दिया है। राजस्थान में पिछली गहलोत सरकार ने 2023 से ओपीएस लागू करने का निर्णय लिया था और भाजपा सरकार ने इसे बनाए रखा है।

छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सरकार के समय से ओपीएस लागू है। ओपीएस लागू होते ही, गहलोत सरकार ने केंद्र से धनराशि का अनुरोध किया।

पिछले कुछ वर्षों से देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन तेज रहा है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब की सरकारों ने कर्मचारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए OPS लागू करने का ऐलान किया। लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए OPS बहाल नहीं होगा और न ही राज्यों को NPS में जमा राशि वापस मिलेगी।

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक NPS में सबसे अधिक योगदान राजस्थान राज्य का 50,884 करोड़ रु, छत्तीसगढ़ का लगभग 25,000 करोड़ रु, हिमाचल प्रदेश का लगभग 15,000 करोड़ रु, झारखंड का लगभग 20,000 करोड़ रु, पंजाब का लगभग 20,000 करोड़ रु. अर्थात इन पांचों राज्यों की कुल जमा राशि करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये है।

1. गारंटीड पेंशन की मांग: OPS में आखिरी वेतन का 50% पेंशन मिलती थी, जबकि NPS पूरी तरह निवेश पर आधारित है।

2. मार्केट रिस्क: NPS स्टॉक मार्केट और बॉन्ड मार्केट से जुड़ा है। ब्याज दर घटने या बाजार में गिरावट आने पर भविष्य की पेंशन प्रभावित हो सकती है।

3. बीच में पैसा निकालने की दिक्कत: OPS में कोई योगदान नहीं देना होता था, लेकिन NPS में जमा राशि सेवानिवृत्ति से पहले नहीं निकाली जा सकती।

4. आर्थिक सुरक्षा: OPS से कर्मचारियों को बुढ़ापे में आर्थिक स्थिरता मिलती थी, जबकि NPS में यह सुनिश्चित नहीं है।

  • NPS फंड वापसी संभव नहीं: केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि PFRDA अधिनियम व नियमों के अंतर्गत अभी तक OPS की ओर जाने वाले राज्यों के लिए NPS फंड वापस करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
  • राजस्थान का NPS संग्रह: राजस्थान ने अब तक सबसे अधिक — लगभग ₹50,884 करोड़— NPS फंड जमा कराया है।
  • OPS बहाली पर केंद्र का रुख: कोई प्रस्ताव केंद्रीय कर्मचारियों के लिए OPS बहाली का विचाराधीन नहीं है क्योंकि यह वित्तीय रूप से अस्थिर होगा।

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